माँ की कहानी थी परियों का फ़साना था,

माँ की कहानी थी परियों का फ़साना था,

माँ की कहानी थी परियों का फ़साना था,
बारिश में कागज़ की नाव थी हर मोसम सुहाना था,
हर खेल में साथी थे हर रिश्ता निभाना था,
गम की जुबान न होती थी ना ज़ख्मों का पैमाना था |